Sarm karo sarm
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जमा ताजा कविता सै भाईयो पढ़ो
आदमी कै आगै आदमी इब हाथ जोड़रा सै,
रिश्ता की मान मर्यादा नै सरेआम तोड़रा सै
म्हारे बूढ़ां नै नौकरी खातर भीख मांगी सै,
एक धोलपोश कै पिसां की माला टांगी सै,
वो ए नेता धोखबाजी सै सर फोड़रा सै,
आदमी कै आगै आदमी इब हाथ जोड़रा सै,
गुंडागर्दी, लूटपाट का सरेआम होरा खेल सै,
गुण्डा आदमी गेल्यां नेता का तगड़ा मेल सै
सबके सपने वो हराम नेता रेत म्हं रोड़रा सै
आदमी कै आगै आदमी इब हाथ जोड़रा सै,
म्हारे हरियाणा म्हं सबका बुरा हाल सै,
आदमी उस टोपी आले तै घणा काल सै,
मुख्यमंत्री रोहतक नं1 की छाप छोड़रा सै
आदमी कै आगै आदमी इब हाथ जोड़रा सै,
सब क्यांए म्हं रिश्वत अर् पूरा गुडांराज सै
गरीब किसान नै बिजली, पाणी ना खाद सै
हर रिश्वतखोर नेता, अफसर पै पड़गी गाज रै
आदमी कै आगै आदमी इब हाथ जोड़रा सै,
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