Sarm karo sarm
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कभी मेरा अपमान करते हो
कभी मेरी गर्भ में हत्या ..
कभी मुझे दहेज़ के लिए जला देते हो
तो कभी सरे आम मेरी इज्ज़त नीलाम करते हो..
कभी मेरे नाम कि गालियाँ देते हो
कभी सरे बाज़ार मेरी बोली लगाते हो ..
नवरात्रियों का व्रत करने वालों ये मत
भूलना कि मैं उसी देवी का अंश हूँ
जिसके चरणों में गिरकर तुम अपने सुखी जीवन
की भीख मांगते हो ..
मेरी इज्ज़त किये बगैर कोई भी मनुष्य समाज न
सभ्य बन सकता है न सुखी ………
होश में आओ ….मेरा सम्मान करना सीखो…
कंही ऐसा न हो कि तुम्हारे कुकृत्यों से
धरती नारी विहीन हो जाये
और नारी रूप तुम्हे सिर्फ मंदिरों में ही नज़र आये !!
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