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गौ धन की सेवा सबके भाग्य में नहीं होती

Sarm karo sarm
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गौ धन की सेवा सबके भाग्य में नहीं होती …
.अनेक मूर्ख हिंदू मंदिर में जाकर …नंदी की पाषाण प्रतिमा पर तो जल चढ़ा देते हैं लेकिन अगर घर के आगे कोई भूखा प्यासा ..बैल या सांड आ जाए तो उसे डंडे मार कर भगा देते हैं ….आपका परम सौभाग्य है की आपको भगवान की सच्ची सेवा का अवसर प्राप्त होता है …..मार्कंडेय पुराण में लिखा है की जिस भोमि पर गौ वंश सुख से श्वास छोडता है वह तीर्थ के सामान हो जाती है …और जहां गौवंश कष्ट पाता है या उसका रक्त बहता है वहाँ किये गए सभी अनुष्ठान .यग्य पूजाएं निष्फल सिद्ध होती हैं भारत में गौ हत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं, लेकिन किसी में भी कोई ख़ास कामयाबी हासिल नहीं हो सकी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें जनांदोलन का रूप नहीं दिया गया. यह कहना क़तई ग़लत न होगा कि ज़्यादातर आंदोलन स़िर्फ अपनी सियासत चमकाने या चंदा उगाही तक सीमित रहे. अल कबीर स्लास्टर हाउस में रोज़ हज़ारों गाय काटी जाती हैं. कुछ साल पहले हिंदुत्ववादी संगठनों ने इसके ख़िलाफ़ मुहिम भी छेड़ी थी, लेकिन जैसे ही यह बात सामने आई कि इसका मालिक ग़ैर मुसलमान है तो अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जगज़ाहिर है, गौ हत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है. इनके दबाव के कारण ही सरकार गौ हत्या पर पाबंदी लगाने से गुरेज़ करती है. वरना क्या वजह है कि जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो, वहां सरकार गौ हत्या रोकने में नाकाम है. हैरत की बात यह है कि गौ हत्या पर पाबंदी लगाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. इसके बावजूद अभी तक इस पर कोई विशेष अमल नहीं किया गया, जबकि मुस्लिम शासनकाल में गौ हत्या पर सख्त पाबंद…
पांच लाख मुसलमानों ने की गौ हत्या पर रोक लगाने की मांग
नयी दिल्ली कुरैश समुदाय के करीब पांच लाख मुसलमानों ने सरकार से गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने तथा उसके संरक्षण के उपाय किये जाने की मांग की है। इस संबंध में इस समुदाय का एक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को सौंपा जायेगा। इन मुसलमानों ने यह संकल्प भी जताया है कि वे इस वर्ष बकरीद के त्योहार पर गायों की कुर्बानी किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। गौवध पर प्रतिबंध की मांग को लेकर हिन्दू संगठनों एवं धर्माचार्यो की रैली में राष्ट्रीय मुस्लिम परिषद के इमाम मौलाना उमेर इलियासी ने आज यहां कहा कि मुसलमानों के लिये गाय का मांस खाना जरुरी नहीं है। उन्होंने कहा कि मुसलमान गाय को छोडकर दूसरे पशुओं के मांस पर निर्भर रह सकते हैं। इसमें उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। मौलाना इलियासी ने कहा कि उन्होंने देशभर की मिस्जदों और मदरसों में संदेश भेजकर बकरीद पर गायों की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया है। उन्होंने गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित किये जाने और राष्ट्रीय गौ संवर्द्धन बोर्ड के गठन की मांग का भी समर्थन किया। अंग्रेजों ने गौ हत्या को ही हथियार बनाकर हिन्दू मुसलमानों में फूट डलवायी थी। यदि सरकार गायों की हत्या पर प्रतिबंध लगवा दे तो दोनों समुदायों में प्रेम और भाईचारा बढेगा। उन्होंने मुसलमानों से जुडी एक धारणा के बारे में स्पष्टीकरण दिया कि काफिर शब्द का अर्थ नास्तिक होता है तथा हिन्दू कभी काफिर नहीं हो सकते।

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