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तुम जब कभी मरे देस पर किताब लिखना

Sarm karo sarm
Sarm karo sarm
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हंसी खवाब लिखना
तुम जब कभी मरे देस पर किताब लिखना
आदमी की भूख उसकी तडफ बेहिसाब लिखना
आदमी मरते हे घरो में होते हे बच्चे यतीम
तुम्हे क्या तुम बस लाखो का हिसाब लिखना
हो गये आजाद फिर भी जीते हे गुलामी में
पर कटेहुवे पंछी का हँसि ख्वाब लिखना
काँच के टुकड़े बीनते हुवे यह बचपन
उन की आँखों मे पलते हुवे सवालो का जबाब लिखना
चंद सिको के खतिर बिकतेहुवे यह जिस्म
बंद मुठियो पर इंकलाब लिखना
बात उठे जब जीवन के सुख दुःख की तो
काँटों मे खिलता सुर्ख गुलाब लिखना
जय भगवान सिंह कादयान

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