Sarm karo sarm
- 64 Posts
- 3 Comments
हंसी खवाब लिखना
तुम जब कभी मरे देस पर किताब लिखना
आदमी की भूख उसकी तडफ बेहिसाब लिखना
आदमी मरते हे घरो में होते हे बच्चे यतीम
तुम्हे क्या तुम बस लाखो का हिसाब लिखना
हो गये आजाद फिर भी जीते हे गुलामी में
पर कटेहुवे पंछी का हँसि ख्वाब लिखना
काँच के टुकड़े बीनते हुवे यह बचपन
उन की आँखों मे पलते हुवे सवालो का जबाब लिखना
चंद सिको के खतिर बिकतेहुवे यह जिस्म
बंद मुठियो पर इंकलाब लिखना
बात उठे जब जीवन के सुख दुःख की तो
काँटों मे खिलता सुर्ख गुलाब लिखना
जय भगवान सिंह कादयान
Read Comments