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वो सड़क पर खून भी बहा दें तो कोई
गुनाह नहीं….
हम फेसबुक पर “वन्देमातरम” बोल दें
तो देशद्रोही हो गए…..!!!!
जी हाँ हमारे देश के संविधान में
लिखा है कि शरीर का कोई
भी अंग चुनाव चिन्ह के निशान
के रूप में उपयोग में
नहीं लाया जा सकता फिर कांग्रेस
तिरंगे पर पंजे का निशान चुनाव
चिन्ह के रूप में लेकर क्या हमारे
तिरंगे का अपमान नहीं कर
रही या हमारे संविधान के विरुद्ध
नहीं जा रही……..???? इसे
तानाशाही और गुंडागर्दी नहीं कहेंगे
तो और क्या कहेंगे……
द ग्रेट ओरिएंट के लेखक विनोद
शंकर मिश्र ने इस बावत चुनाव
आयोग से पत्र व्यवहार
भी किया लेकिन जवाब में उन्हें
जो कुछ हासिल हुआ, उससे
यही लगता है कि चुनाव आयोग
अपनी गलतियों से सबक लेने
का कतई इच्छुक नहीं है।
गलतियां हो गई हैं तो इसका यह
मतलब नहीं कि वे सुधारी ही न
जाएं। दिन का भूला शाम को घर
लौट आए तो उसे
भूला नहीं कहा जाता लेकिन
यहां तो अपना घर सामने देखकर
भी उसे न पहचानने
की स्थिति है। अपने देश में जब
जागे तभी सबेरा वाली कहावत
काफी लोकप्रिय है लेकिन
जो जागते हुए भी सोने का स्वांग कर
रहा हो, उसके लिए सुबह के होने न
होने का मतलब ही क्या है? चुनाव
आयोग के साथ भी कमोवेश
यही बात है। चुनाव आयोग
को प्रेषित पत्र में विनोदशंकर
मिश्र ने कहा है
कि किसी भी पार्टी को मानव
शरीर का कोई भी अंग चुनाव
चिन्ह के रूप में आवंटित
नहीं किया जाए
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