Sarm karo sarm
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रोशनी को बेच कर
खूब रोया होगा बदगी को बेच कर
एक माली कली को बेच कर
एक तबायफ पैट भरती हे यहाँ
रोज अपनी बेबसी को बेच कर
यह भी सोदा फायेदा का हे बहुत
तू मिले अगर जिन्दगी को बेच कर
ला सका तो तेरी खुसिया ले आउगा मे
आज मे अपनी खुसिया भी को बेच कर
रातभर अँधेरे में तडफता रहा
एक सूरज अपनी रोशनी को बेच कर
जय भगवान सिंह कादयान
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